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Saturday, December 7, 2019

गूगल प्ले स्टोर पर महिला सुरक्षा के 200 से ज्यादा एप, उपयोगी 20 फीसदी ही

नई दिल्ली (अमित कुमार निरंजन).हैदराबाद में हुए दुष्कर्म के बाद इस बात पर भी खूब बहस हुई कि पीड़िता को पहले पुलिस को फोन लगाना चाहिए था या घर पर। स्मार्टफोन के इस दौर में किसी भी व्यक्ति के लिए तकनीक का इस्तेमाल बेहद आसान हो गया है। अलग-अलग तरह के एप्स इसमें महिलाओं की मदद कर सकते हैं। ऐसे में भास्कर ने पड़ताल की उन एप्स की जो महिला सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। गूगल प्ले स्टोर पर वुमन सेफ्टी के 200 से ज्यादा एप्लीकेशन्स मौजूद हैं। लेकिन इनमें 20 फीसदी एप ही ऐसे हैं जो बेहद उपयोगी हैं।

केन्द्र की इंटेलीजेंस जैसी कई एजेंसियों को सायबर क्राइम की ट्रेनिंग दे चुके और ओपन सिक्योरिटी अलायंस के फाउंडर मुंबई निवासी दिनेश ओबेरजा ने बताया कि वुमन सेफ्टी से संबंधित गूगल प्ले स्टोर पर दो प्रकार के एप हैं। एक में आपातकाल में सूचना सीधे पुलिस को मिलती है।


दूसरे प्रकार के एप में घर वालों को जानकारी मिलती है। हमने गूगल प्ले स्टोर के एप का विश्लेषण किया था तो करीब 20 फीसदी एप ऐसे हैं जिनमें सीधे सूचना पुलिस को जाती है। इन एप्स की रेटिंग भी चार या उससे ज्यादा है। करीब इतने ही एप के दूसरे फीचर्स में महिलाओं के लिए ज्यादा उपयोगी हैं। गुड़गांव की एक कंपनी में कॉर्पोरेट सायबर का काम देख रहे दीप शंकर बताते हैं कि जितने भी एप बनाए जाते हैं वो थर्ड पार्टी यानी किसी अन्य डेवलपर के माध्यम से बनाए जाते हैं। फिर किसी सरकारी विभाग को ये एप दिखाकर बेचते हैं।

वेबसाइट का तो सिक्योरिटी ऑडिट हो जाता है, लेकिन एप डेवलपर सिक्योरिटी ऑडिट कराना जरूरी नहीं समझते हैं। इसलिए हमें रेटिंग आदि देखकर एप डाउनलोड करने चाहिए। प्ले स्टोर पर फेक एप्स भी होते हैं। ये सिर्फ यूजर का डाटा लेते हैं और दुरुपयोग करते हैं। ऐसे एप की संख्या 20 से 30 प्रतिशत तक है। आर्मी, नेवी समेत करीब एक दर्जन से ज्यादा राज्यों की पुलिस को सायबर क्राइम की ट्रेनिंग देने वाले राजस्थान के गौतम कुमावत बताते हैं कि यूजर को रेटिंग, डाउनलोड, रिव्यू, ऑफिस एड्रेस, डेवलपर आदि देखने के बाद ही एप को डाउनलोड करना चाहिए।

राजस्थान: एक लाख लोग चला रहे हैं एप
यहां महिला सुरक्षा के लिए राजकॉप एप है। इसे करीब एक लाख लोगों ने डाउनलोड किया है। एप पर प्रतिमाह करीब 200 शिकायतें अाती हैं। इसमें एसअाेएस बटन हाेता है। बटन काे दबाने पर लाेकेशन व संबंधित थाने की जानकारी कंट्राेल रूम के पास चली जाती है। कंट्राेल रूम से महज एक मिनट से भी कम समय में रिप्लाई काॅल अाता है।

दिल्ली: चल रहे हैं दो एप, एक लाख यूजर्स
दिल्ली में महिला सुरक्षा के दो एप हैं। हिम्मत प्लस और तत्पर। हिम्मत प्लस एप में मोबाइल को ज़ोर से हिलाकर भी सूचना सीधे पुलिस कंट्रोल रूम में जाती है। तत्पर एप की शुरुआत उपराज्यपाल अनिल बैजल ने की थी। एप के जरिए 50 से ज्यादा सेवाओं का लाभ लिया जा सकता है। दोनों के एक लाख से ज्यादा यूजर्स हैं।

उत्तर प्रदेश : एक दर्जन एप शुरू हुए, अब सब बंद
यूपी में महिला अपराध को रोकने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर हेल्पलाइन और ऐप बनाए गए, लेकिन कोई भी ऐप सफल नहीं हो पाया। करीब एक दर्जन से ज्यादा मोबाइल एप सिर्फ़ ट्रायल तक शुरू हुए और बंद हो गए। महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नम्बर 1090 एक्टिव है।

इधर 5 गुना तक बढ़ी महिलाओं की सुरक्षा वाले उत्पाद की बिक्री
महिलाओं के पेपर स्प्रे, स्टन गन जैसे कई प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी एक्सबूम यूटिलिटी की बिजनेस डेवलपर स्नेहा जैन ने बताया कि पिछले दस माह तक हम हर माह औसतन दो हजार प्रोडक्ट बेच रहे थे। लेकिन पिछले दो हफ्तों में ही हमारे करीब 15 हजार प्रोडक्ट बिके। काेलकाता की मार्क सेफ्टी प्रोडक्ट्स कंपनी की फाउंडर पारुल राउतेला ने बताया कि औसतन हर माह 300 प्रोडक्ट बिकते हैं, लेकिन अब डेढ़ हफ्ते में ही करीब 450 प्रोडक्ट बिक गए। दिल्ली में बख्शी एरोसोल पेपर स्प्रे मैन्युफैक्चर का काम करते हैं। कंपनी में मैनेजिंग कमेटी के सदस्य गुरदीप सिंह ने बताया कि पहले प्रतिमाह औसतन 15 हजार पेपर स्प्रे बोतल का ऑर्डर आता था। लेकिन पिछले एक हफ्ते में ऑर्डर पांच गुना बढ़ गए हैं।



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More than 200 women safety apps on Google Play store, only 20 percent useful


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