नई दिल्ली (संजय आवटे).जब कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस और शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बनाने पर बात कर रहे थे, तब शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात ने चौंकाया था। लेकिन राकांपा प्रमुख ने कहा कि उन्होंने इस मीटिंग में मोदी से कहा था कि राज्य में शिवेसना और कांग्रेस के साथ वे सरकार बनाने वाले हैं। अजित पवार ने जब पार्टी से बगावत कर देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बनाई, तब लगा कि पवार और मोदी की बैठक में ही इसकी रूपरेखा तय की गई।
हालांकि, अब 'दिव्य मराठी' से विशेष बातचीत में राकांपा प्रमुख ने साफ किया- ''मोदी और मेरी मुलाकात हुई, यह किसी से छिपी नहीं थी। भाजपा के साथ सरकार बनाने का प्रस्ताव हमने पहले ही ठुकरा दिया था। मोदी से मिला तो मैंने उनसे कहा- हम शिवसेना के साथ सरकार बना रहे हैं। इस पर प्रधानमंत्री बोले- 'आपने हमारा ऑफर रिजेक्ट कर दिया, फिर भी हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।'' पवार ने कहा कि हमारी पार्टी में कुछ नेता भाजपा के साथ जाना चाहते थे। उन्हें लग रहा था कि तीन के बजाय यदि दो दल सत्ता में आएंगे, तो सरकार स्थिर होगी।
सवाल: अजित पवार का क्या करेंगे?
पवारः अजित पवार की बगावत से पार्टी में अस्थिरता आई, यह सच है। उनकी वह गलती ही थी। लेकिन अजित की ताकत की अनदेखी नहीं की जा सकती। मैं तराजू लेकर बैठता हूं और सबको उस पर तौलता हूं।
सवाल: अजित की बगावत पर सुप्रिया ने लिखा था- पार्टी और परिवार बिखर गए। अजित-सुप्रिया में सत्तासंघर्ष बढ़ सकता है?
पवारः अजित और सुप्रिया में सत्तासंघर्ष मुद्दा ही नहीं। अजित को राज्य में रुचि है और सुप्रिया को संसदीय कामकाज अच्छा लगता है। इस बार राज्य की राजनीति में सुप्रिया की सक्रियता दिखी, लेकिन वह एक संकट काल था। ऐसे संकट काल में सभी एकजुट होने ही चाहिए। वह भी थी। इससे बढ़कर कुछ नहीं।
सवाल: सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सकेगी?
पवारः महाराष्ट्र में किया गया प्रयोग सफल रहेगा और सरकार पांच साल चलेगी। उद्धव मुख्यमंत्री बनने के लिए राजी नहीं हो रहे थे। मैंने उनसे कहा कि बालासाहब ठाकरे की ही तरह मैं भी तुम्हें आदेश दे रहा हूं। तब वे तैयार हुए। उनका व्यक्तित्व और चेहरा सर्वसमावेशी है। किसी के भी सरकार से बाहर होने का सवाल ही नहीं उठता।
सवाल: रिमोट कंट्रोल आपके पास ही रहेगा?
पवारः नहीं। सरकार के कामकाज और प्रशासन में कोई हस्तक्षेप मेरी ओर से नहीं होगा। इतिहास को अभिमान होना ही चाहिए। लेकिन इतिहास रचने का मौका भी सरकार के पास है।
सवाल: मंत्रियों के बीच काम का बंटवार कब तक होगा?
पवारः मंत्रिमंडल विस्तार, विभागों का बंटवार, उपमुख्यमंत्री का चुनाव इस संदर्भ में जल्द ही फैसला होगा। नागपुर में शीत सत्र से दो दिन के भीतर चित्र स्पष्ट होगा।
सवाल: देवेंद्र फडणवीस पर आपका क्या कहना है?
पवारः नई पीढ़ी के इस नेता ने अपेक्षाएं बहुत ऊंची पाल रखी थी। लेकिन सत्ता में दंभ कभी नहीं करना चाहिए। जमीन से संबंध नहीं टूटना चाहिए। सत्ता का दंभ खराब होता है, यह देवेंद्र को अब जरूर समझ आ गया होगा। उम्मीद है कि वे आत्मावलोकन करेंगे।
सवाल: क्या यह प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर होगा?
पवारः नया विकल्प खड़ा हो सकता है, यह इस प्रयोग ने साबित किया। भाजपा के विरोध में गठबंधन करने के लिए कोई भी प्रयत्न नहीं कर रहा। कोई भी इस तरह संपर्क में नहीं। ऐसा गठबंधन आसान नहीं होगा।
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December 06, 2019 at 02:07PM
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